गंगा एक्सप्रेसवे मुआवजा विवाद: रुस्तमपुर में किसानों की मांग, राष्ट्रीय राजमार्ग के बराबर मुआवजा, जाने क्या है औद्योगिक गलियारे का मामला..?

By akhilesh Roy

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गंगा एक्सप्रेसवे मुआवजा विवाद: उत्तर प्रदेश में जब से गंगा एक्सप्रेसवे की कार्य चल रही है तब से उत्तर प्रदेश वासियों को इस एक्सप्रेसवे को तैयार होने की बहुत जल्दी थी और जल्द से इसका उद्घाटन भी होने वाला था तभी इसमें कुछ गड़बड़ी है गई चलिए जानते हैं, Ganga Expressway, उत्तर प्रदेश की एक प्रमुख Infrastructure Project है, जो मेरठ से प्रयागराज तक 594 किलोमीटर लंबा छह लेन का Greenfield Expressway है। इसके साथ प्रस्तावित Industrial Corridor क्षेत्र में Economic Development को गति देता है। हालांकि, Land Acquisition का मुद्दा, खासकर अमरोहा के रुस्तमपुर में, Compensation Dispute का कारण बना है। भारतीय किसान यूनियन ने मुआवजे को National Highways के बराबर करने की मांग की है।

किसानों का कहना है कि वर्तमान Circle Rates उनकी जमीन के बाजार मूल्य से कम हैं, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है। Compensation Dispute के कारण मंगरौला, रुस्तमपुर, और दौलतपुर में Land Acquisition की प्रक्रिया धीमी हो गई है। यह गतिरोध Industrial Corridor और Ganga Expressway के निर्माण में देरी कर सकता है। सरकार और किसानों के बीच बातचीत से इस Economic Development को बढ़ावा देने वाली परियोजना के लिए समाधान जरूरी है।

रुस्तमपुर में भारतीय किसान यूनियन की पंचायत 25 गांवों से जनता

किसान अपने जमीन सरकार को नहीं देना चाहते हैं क्योंकि सरकार बहुत कम पैसे किसानों को दे रही है और ऐसे में किस कहां जाएंगे इतनी कम पैसे लेकर के इसलिए सरकार से किसानों का अलग ही मांग है मंगलवार को अमरोहा के रुस्तमपुर गांव में आयोजित भारतीय किसान यूनियन (इंडिया) की पंचायत में किसानों ने अपनी चिंताओं को जोरदार तरीके से उठाया। पंचायत में वक्ताओं ने बताया कि गंगा एक्सप्रेसवे के लिए तहसील क्षेत्र के 25 गांवों से होकर गुजरने वाली भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, मंगरौला गांव के पास प्रस्तावित औद्योगिक गलियारे के लिए तीन गांवों—मंगरौला, रुस्तमपुर, और दौलतपुर—की कुल 2200 बीघा भूमि अधिग्रहित की जानी है।

वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि सरकार द्वारा दिया जा रहा मुआवजा वर्तमान सर्किल रेट के आधार पर है, जो बाजार मूल्य से काफी कम है। उन्होंने मांग की कि मुआवजा राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिग्रहित भूमि के बराबर होना चाहिए, अन्यथा किसान अपनी जमीन नहीं देंगे। पंचायत में संगठन के जिलाध्यक्ष लोकेश विधूड़ी, सतपाल सिंह अंबावता, श्याम सिंह, मलखान सिंह, और अन्य ने किसानों की एकजुटता का आह्वान किया।

मुआवजा विवाद और किसानों की चिंताएं 64% भूमि का अधिग्रहण

किसानों का कहना है कि वर्तमान सर्किल रेट उनकी जमीन के वास्तविक मूल्य को प्रतिबिंबित नहीं करता। गंगा एक्सप्रेसवे और औद्योगिक गलियारे के निर्माण से क्षेत्र में भविष्य में होने वाले आर्थिक विकास को देखते हुए, वे उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं। मंगरौला गांव में भूमि अधिग्रहण का कार्य 2023 में शुरू हुआ था, लेकिन अब तक केवल 64% भूमि का अधिग्रहण हो पाया है। किसानों की असहमति के कारण यह प्रक्रिया धीमी पड़ गई है।

किसानों ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानून और हरियाणा सरकार की कुछ नीतियां, जैसे अनंगपुर गांव को उजाड़ने की कथित कोशिश, उनके हितों के खिलाफ हैं। उन्होंने इन नीतियों के खिलाफ आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है।

औद्योगिक गलियारे का महत्व और चुनौतियां

गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे प्रस्तावित औद्योगिक गलियारा क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है। इसका उद्देश्य निवेश को आकर्षित करना और रोजगार के अवसर पैदा करना है। हालांकि, भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण परियोजना की समयसीमा प्रभावित हो रही है। हसनपुर के एसडीएम पुष्कर नाथ चौधरी ने कहा कि जब औद्योगिक गलियारे के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था, तब सर्किल रेट तय किए गए थे, और उसी के आधार पर मुआवजा दिया जा रहा है। फिर भी, किसानों की मांगों को देखते हुए बातचीत के जरिए समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी।

36,404 करोड़ रुपये लागत से बन रहा है गंगा एक्सप्रेसवे

गंगा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के 12 जिलों—मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, और प्रयागराज—से होकर गुजरता है। यह 594 किलोमीटर लंबा छह लेन का एक्सप्रेसवे है, जिसे आठ लेन तक विस्तारित किया जा सकता है। परियोजना की अनुमानित लागत 36,404 करोड़ रुपये है, और इसे दिसंबर 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है, ताकि 2025 में होने वाले महाकुंभ मेले से पहले इसे शुरू किया जा सके।

दूसरे चरण में, एक्सप्रेसवे को वाराणसी और गाजीपुर होते हुए बलिया तक विस्तारित करने की योजना है, जिससे इसकी कुल लंबाई 950 किलोमीटर से अधिक हो जाएगी। यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा।

किसानों की मांगों का प्रभाव

किसानों की मांगें और भूमि अधिग्रहण में गतिरोध न केवल औद्योगिक गलियारे के निर्माण को प्रभावित कर रहा है, बल्कि गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना की समग्र प्रगति पर भी असर डाल सकता है। यदि यह विवाद जल्द नहीं सुलझता, तो परियोजना में और देरी हो सकती है, जिससे क्षेत्र में निवेश और रोजगार सृजन की संभावनाएं प्रभावित होंगी।

किसानों ने यह भी मांग की है कि उनकी अन्य समस्याओं, जैसे छुट्टा पशुओं से फसल नुकसान और गन्ना भुगतान का बकाया, को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाए।

निष्कर्ष

गंगा एक्सप्रेसवे और इसके साथ प्रस्तावित औद्योगिक गलियारा उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन किसानों के उचित मुआवजे की मांग एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है। रुस्तमपुर और मंगरौला जैसे गांवों में किसानों का विरोध और उनकी एकजुटता सरकार के लिए एक चुनौती है। बातचीत और पारदर्शी नीतियों के जरिए इस विवाद को सुलझाना जरूरी है, ताकि परियोजना समय पर पूरी हो सके और किसानों के हितों की रक्षा हो।

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